मन के आकाश में
विचारों के पक्षी
उड़ते हैं दूर-सुदूर
किसी सुख-प्राप्ति की लालसा में
किन्तु उन्हें नहीं पता
कि
वहां
नहीं बनाए जा सकते
सपने, इच्छाएं, महत्त्वाकांक्षाएं ।
अचानक कहीं पढ़ी हुई ये पंक्तियां आज याद आ गयीं तो लगा कि इसे ब्लॉग पर रख देना चाहिए ।
4 comments:
अच्छा लिखा और लिखो । अतिसुन्दरम्। प्रशंसनीय!
अच्छा लिखा और लिखो । अतिसुन्दरम्। प्रशंसनीय!
अति शोभनम्,सुन्दरम्,पवित्रम्.........................
बहुत बढ़िया सोच है,ऐसे ही हम विचारों में पक्षी की तरह भटकते रहते है।
प्रसंशाजन्य है।
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